सिर्फ 5 दिन इस पौधे की जड़ का चूर्ण लेने से एड़ी से चोटी तक शरीर की सारी बीमारियां जड़ से खत्म हो जायेंगी
मंजिष्ठा को आयुर्वेद में चेहरे के दाग धब्बे, दाद, खाज, खुजली, सोरायसिस, जली त्वचा पर, गुर्दे और पित्त की पथरी, स्त्री रोगों में, हड्डियों की मजबूती, दस्त, पथरी, सूजन, स्त्रियों के गर्भधारण कराने जैसे अनेक रोगों में प्रयोग किया जाता है. आइये जानते हैं इसके विभिन्न रोगों में विभिन्न प्रयोग
मंजीठ की सेवन मात्रा :
मजीठ की जड़ का चूर्ण 1-3 ग्राम, जड़ का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर को खुराक में ले सकते हैं।
मंजीठ के गुण :
मंजीठ भारी, कडुवी, विष, कफ और सूजननाशक होती है। यह पीलिया (कामला), प्रमेह, खून की खराबी (रक्तविकार), आंख और कान के रोग, कुष्ठ (कोढ़), खूनी दस्त (रक्तातिसार), पेशाब की रुकावट, वात रोग, सफेद दाग, मासिक-धर्म के दोष, चेहरे की झांई, त्वचा के रोग, पथरी, आग से जले घाव में अत्यन्त गुणकारी है।
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