हरड़ ( पिली ), बहेड़ा, आंवला( त्रिफला ) इन तीनो फलों ( स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे ) की गुठली निकालने के बाद छिलकों को कूट-पीसकर कपड़छान करके प्रत्येक का अलग-अलग चूर्ण बना लें और फिर 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलाकर रख लें। यथा- यदि हरड़ का चूर्ण 10 ग्राम हो तो बहेड़े का चूर्ण 20 ग्राम और आंवलों का चूर्ण 40 ग्राम लेकर मिलाना चाहिए और इस मिश्रण को किसी शीशी में कार्क लगाकर बरसाती हवा से बचाते हुए रखना चाहिए। सदैव निरोग रहने और कायाकल्प के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए की वे त्रिफला चूर्ण बाजार से कभी नही खरीदे बल्कि उपरोक्त विधि से स्वयं अपने घर पर ही एक बार इकट्ठा बनाकर चार महीने तक उपयोग में लाएं। चार महीने बाद चूर्ण उतना प्रभावी नही रहता पूर्ण कायाकल्प के लिए त्रिफला चूर्ण को बाहर वर्ष तक नियमपूर्वक लेने का विधान है।
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