कहते हैं पहला सुख निरोगी काया और दुसरा सुख घर में माया. यानी व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा सुख उसकी अच्छी सेहत को माना गया है. तथा इसके बाद जीवन का दूसरा सुख उसके पास भरपूर मात्रा में धन का होना माना गया है. मगर आज ज़िन्दगी की भागदौड़ में इंसान इतना व्यस्त हो गया है की उसे खुद ही पता नहीं चला रहा की वो इतना दौड़ कर पहुंचना कहाँ चाहता है
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