कहते हैं इंसान को अपने पाप-पुण्य का लेखा-जोखा इसी जन्म में भुगतना पड़ता है। क्योंकि शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है, इसलिए इंसान के पाप कर्मों का फल व्यक्ति को साढ़ेसाती के दौरान मिलता है। साढ़ेसाती की यह अवधि कईयों के लिए बेहद कष्टकारक होती है। आर्थिक समस्याओं से लेकर स्वास्थ्य और प्रतिष्ठा हानि, हर प्रकार व्यक्ति को अपमान और हानि का सामना करना पड़ता है। कुछ शास्त्रीय उपाय इनसे छुटकारा पाने में चमत्कारी रूप से लाभकारी हैं।
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