लोहे की कढ़ाई में एक किलो गंधक और ढाई सौ ग्राम घी डालकर आंच पर गला लें। उसके बाद पहली शुद्धि के अनुसार मिटटी की नांग में गंधक से दुगुना दूध भरकर उसके मुंह पर एक नया, पतला कपडा गीला करके बाँध दें और उस गंधक को उस कपडे के ऊपर छोड़कर करछी से चलाते रहें जब तक की सारा गंधक नाद में न गिर जाए।
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