नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं . पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती। नागफनी फल का हिस्सा flavonoids, टैनिन, और पेक्टिन से भरा हुआ होता है नागफनी के रूप में इसके अलावा संरचना में यह जस्ता, तांबा, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मोलिब्डेनम और कोबाल्ट शामिल है।
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