बल वीर्य स्तम्भन बढाने और पुरुष रोगों में ग़ज़ब है सेमल का स्वरस How to Improve Sex Performance
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सेमल को इंग्लिश में सिल्क कॉटन tree कहा जाता है. इसके फलों से निकलने वाली रुई पहले गद्दों और तकियों के भरने में काम में ली जाती थी.सेमल के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है । सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है For More Visit http://www.doctorfit.co.in
वन विभाग ने विभिन्न नर्सरियों में सेमल के एक हजार से अधिक पौधे तैयार किए हैं। विशालकाय होने से जहां यह गर्मियों में छाया की सुखद अनुभूति देते हैं। वहीं इन पर लगने वाले लाल व सफेद फूल भी आकर्षित बनाते हैं। इनकी छाल, पत्ते,फूल व बीज का उपयोग किडनी गनोरिया सहित कई रोगों के निदान के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इन्हें आंगन में लगाने पर सांप आदि विषैले जीव जंतु घर में नहीं आते।
आज हम आपको Crazy India की तरफ से आपको बताने जा रहें हैं सेमल का पुरुषों के लिए ऐसा प्रयोग जो उनके बल वीर्य स्तम्भन बढाने में बेहद रामबाण है.
सेमल की मूसली के स्वरस में थोड़ी मिश्री मिला कर रोज़ सवेरे शाम पीने से अपार बल वीर्य बढ़ता है, शरीर की कान्ति निखरती और पुष्टि होती है. प्रमेह धातु की कमजोरी और शरीर की क्षीणता में सेमल की मूसली अव्वल दर्जे की चीज है. ये फकीरी नुस्खा है जिसमे कोई ज्यादा खर्च भी नहीं आता है. जो मज़ा अमीरों को हज़ारों रुपैये खर्च कर के भी नहीं आता वो इस सेमल की मूसली से बिना पैसे खर्च किये ही मिल जाएगा.
सेमल का स्वरस बनाने की विधि
जिस सेमल के वृक्ष में फल ना आयें हो अर्थात सेमल का नया वृक्ष उस सेमल के वृक्ष की नयी या कच्ची मूली या मूसली को खोद कर धुलाई कर लीजिये. इसको सिल पर खूब कूटो और महीन पीसो. पिस जाने पर रेजी या मलमल के कपड़े में रख कर, किसी मिटटी या कांच के बर्तन में निचोड़ लें. बस, यही सेमल का स्वरस है.
इसके स्वरस में थोड़ी मिश्री मिला कर पीने से इसका नित्य सेवन करने से अपार बल वीर्य बढ़ता है, स्तम्भन शक्ति बढती है शरीर की कान्ति निखरती और शरीर पुष्टि अर्थात कमज़ोर शरीर वाले हट्टे कट्टे हो जातें है. सेमल की मूसली के स्वरस की मात्रा 1 से 2 तोले तक है. अर्थात रोगी को अपने रोग अनुसार 10 से 25 ग्राम तक इसका सेवन करना चाहिए. यह सूजाक जैसे रोगों में भी अत्यंत प्रभावकारी है.
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