Friday, 30 September 2016

नारियल से तुरंत पता करें अपना ब्लड ग्रुप know your blood group instantly...

नारियल से तुरंत पता करें अपना ब्लड ग्रुप know your blood group instantly with coconut in hindi
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हम अपना ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाने के लिए हॉस्पिटल या किसी ब्लड कैंप में जाते है, पर सोचिये अगर हमें अपने ब्लड ग्रुप का पता घर बैठे ही चल जाए और कहीं जाना ही न पड़े तो कितना अच्छा होगा! जी हां मात्र एक नारियल से आप अपने ब्लड ग्रुप की जांच कर सकते है! विश्वास नहीं हो रहा है तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से इस विषय में विस्तार से जानकारी लेते हैं। For More Visit http://www.doctorfit.co.in

नारियल से ब्लड ग्रुप की जांच

नारियल खाने, पीने और पूजा के दौरान चढ़ाने तीनों में काम आता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि नारियल से आप अपने ब्लड ग्रुप के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसे हो सकता है? भला नारियल की मदद से कोई ब्लड ग्रुप कैसे चेक कर सकता है? लेकिन यह सच है, एक रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि नारियल की मदद से आप अपना ब्लड ग्रुप जान सकते हैं। आइए जानें नारियल से कैसे अपना ब्लड ग्रुप पता लगाया जा सकता है।

क्या कहता है शोध

नारियल से ब्लड ग्रुप की बात पर रिसर्च करने के बाद इस बात पर मुहर लगाई है कि एक नारियल की मदद से आपका ब्लड ग्रुप पता चल सकता है। शोध के अनुसार 5 ब्लड ग्रुप, ए पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव, बी पॉजिटिव, ओ पॉजिटिव और ओ निगेटिव को वह नारियल की मदद से पहचान सकते हैं। बाकी तीन ब्लड ग्रुप पर अभी जांच चल रही है।

शोध का नतीजा

नारियल से ब्लड ग्रुप की जांच करने के लिए किसी भी व्यक्ति के सिर से थोड़ा ऊपर हथेली में नारियल लें। आप देखेंगे थोड़ी देर में नारियल एक अलग दिशा में मुड़ जाएगा।

• ‘ए’ पॉजीटिव ब्लड ग्रुप होने पर नारियल 45 डिग्री की पोजिशन में मुड़ जाएगा।

• वहीं ‘एबी’ पॉजीटिव में 45 से 55 डिग्री पर मुड़ जाएगा।

• जबकि ‘बी’ पॉजीटिव में 60 डिग्री और ‘ओ’ पॉजीटिव में 90 पर मुड़ जाएगा।

• ‘ओ’ नेगेटिव में 180 डिग्री की पोजीशन अपने आप ले लेगा।

शरारती बच्चों को शांत करने के लिए मजाक-मजाक में किए गए इस परीक्षण के दौरान पाया गया कि कुछ बच्चों के सिर से थोड़ा ऊपर हथेली पर रखा नारियल 90 डिग्री में खड़ा हो गया। लैब में बच्चों का ब्लड ग्रुप चेक कराया तो वो ओ पॉजीटिव निकला। अब आप ही बताइये कि अगर इस तरीके से जांच हो सकती है तो आप हॉस्पिटल की भागदौड़ से भी बच जाएंगे और आसानी से ब्लड टेस्ट भी हो जायेगा! अब इस बात में कितनी सच्चाई है वो तो इसे प्रयोग करने के बाद ही पता चलेगा पर अगर इसमें सच्चाई है तो ये वाकई लोगों के लिए वरदान साबित होगा।

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इन चीजों को आंखों में कभी नहीं लगाना चाहिए आइये जाने क्यों Top Things Yo...

इन चीजों को आंखों में कभी नहीं लगाना चाहिए आइये जाने क्यों Top Things You don’t Put in Your Eyes in hindi
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कुछ लोग आंखों के लिए कांटेक्ट लेंस, आई ड्रॉप, आई मेकअप आदि का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इन चीजों से आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है।For More visit http://www.doctorfit.co.in

. 1 इन चीजों को आंखों में लगाने से बचें

आंखें मनुष्य के लिए प्रकृति की सबसे सुंदर और अनमोल देन है। आंख हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसके ना होने पर हम अपने जीवन का कोई भी कार्य नहीं कर सकते या हम कह सकते हैं कि आंखों के बिना हमारा जीवन ही नहीं। आंखे शरीर का बहुत नाजुक हिस्सा भी होती है। गलती से आंखों में कुछ चले जाने से पर हम बेचैन हो जाते है। कुछ लोग तो आंखों के लिए गुलाब जल, आई ड्रॉप, आई मेकअप आदि का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इन चीजों से आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। आइए ऐसी ही कुछ चीजों की जानकारी लेते हैं जो आंखों में लगाने से बचना चाहिए।

2 कांटेक्ट लेंस लगाना

आजकल की व्यस्तता और भागदौड़ भरी जिंदगी में हमने स्वास्थ्य से ज्यादा बाहरी सौंदर्य को महत्व देना शुरू कर दिया है। इसी जीवन शैली में आंखों के स्वास्थ्य के लिए एक नया प्रयोग शुरू हुआ है जिसका नाम है कांटेक्ट लेंस। ये कांटेक्ट लेंस चश्मों के विकल्प के रूप में सामने आया है। आंखों की खूबसूरती में इजाफा करने वाले ये कान्टैक्ट लेंस कई बार आंखों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। आंखें शरीर का बहुत संवेदनशील हिस्सा हैं। थोड़ी सी चूक आपकी आंखों के लिए खतरनाक हो सकती है। कान्टैक्ट लेंस का प्रयोग करने में आपको काफी सर्तकता बरतनी पड़ती है। उसकी साफ-सफाई का विशेष खयाल रखना पड़ता है, नहीं तो आंखो में संक्रमण हो सकता है। इसलिए इनका सही तरह से इस्तेमाल करें। सोने या नहाने से पहले इन्हें उतार लें। रोजाना गंदे कांटेक्ट लेंस पहनने से आई इन्फेक्शन भी हो सकता है। अगर आपको पहले से इन्फेक्शन है, तो कांटेक्ट लेंस लगाने से बचें।

3 आई ड्रॉप

आंखों में किसी तरह की समस्या होने पर हम केमिस्ट से आई ड्रॉप खरीद कर आंखों में डाल लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आई ड्रॉप के गलत या ज्यादा इस्तेमाल आपकी आंखों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। डॉक्टर की सलाह बिना कभी भी आई ड्रॉप ना खरीदें। आंखों में दवा को डालने से पहले उस पर दी एक्सपायरी डेट को जरूर चेक कर लेना चाहिए। और उपचार के बाद अगर उसमें कुछ बूंदें बच गई हैं, तो उसे किसी सुरक्षित जगह पर रख देना चाहिए। लेकिन कई दवाएं ऐसी होती है, जिनका इस्तेमाल एक महीने अंदर किया जाता हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें इस तरह की ड्रॉप के लंबे समय तक इस्तेमाल से आपको मोतियाबिंद भी हो सकता है।

4 आई मेकअप और मेकअप साफ करने के लिए कॉटन बड्स

आजकल जितना जरुरी मेकअप लगाना है उठना ही जरुरी मेकअप उतारना भी हो गया है क्योंकि अधिक देर तक चेहरे पर मेकअप रहना हमारी त्वचा के लिए उचित नही होता। चेहरे पर मेकअप लगाकर सोने से त्वचा के रोमछिद्र बन हो जाते हैं, जिससे त्वचा पर कई समस्याएं होने लगती हैं। महिलाएं आंखों के मेकअप को साफ करने के लिए कॉटन बड्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि आई मेकअप रिमूव करने के लिए कॉटन बड्स का इस्तेमाल आंखों को चोटिल कर सकता है। इसलिए सॉफ्ट टिश्यु पेपर का इस्तेमाल करें। आई मेकअप लगाने से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें। वहीं मेकअप इस्तेमाल करें, जो आपको सूट करता है। काजल, आई लाइनर जैसे प्रोडक्ट आंखों में नहीं जाने चाहिए क्योंकि इससे आंखों में जलन, लालिमा और खुजली हो सकती है।

5 गंदे हाथों से आंखों को मलना

कई लोग बार-बार उंगलियों से आंखों पर खुजली करते रहते हैं। गंदी उंगलियों से मलने से आंखों में खुजली और लाली आ सकती है। आंखों में प्रॉब्लम की एक वजह आंखों में गंदगी जाना और गंदे हाथों से आंखों को मलना भी हो सकता है। इसलिए किसी भी तरह की एलर्जी से बचने के लिए आंखों को गंदी उंगलियों से मलने से बचना चाहिए।

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मधुमेह का काल है आम के पत्ते Just Boil These Leaves And Solve Your Probl...

मधुमेह का काल है आम के पत्ते – Suffering from Diabetes? Just Boil These Leaves And Solve Your Problem Without Medications!
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मधुमेह यानि डाइबिटीज Diabetes को कौन नहीं जानता. पेशाब के साथ चीनी जैसा मीठा पदार्थ निकलना मधुमेह कहलाता है | यह एक गंभीर बीमारी है जिसे धीमी मौत (साइलेंट किलर – Silent Killer ) भी कहा जाता है। संसार भर में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है विशेष रूप से भारत में। इस बीमारी में रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक बढ़ जाता है तथा रक्त की कोशिकाएं इस शर्करा को उपयोग नहीं कर पाती। यदि यह ग्लूकोज का बढ़ा हुआ लेवल खून में लगातार बना रहे तो शरीर के अंग प्रत्यंगों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है। For More Visit http://www.doctorfit.co.in
डाइबिटीज के मुख्य कारण : Causes of Diabetes
हमारे शरीर में पाए जानेवाले इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी से यह रोग हो जाता है। इंसुलिन का कार्य हमारे शरीर में शर्करा के प्रयोग को नियंत्रित करना है। जब हम शक्कर या शर्करा तथा स्टार्चयुक्त भोजन करते हैं तो हमारा पाचन संस्थान इन्हें विखंडित करके ग्लूकोज में परिवर्तित कर देता है, जो बड़ी सरलता से हमारे रक्त में मिलकर शरीर को ऊर्जा देने का कार्य करता है। इंसुलिन हार्मोन इसी ग्लूकोज को रक्तप्रवाह में सोखने के लिए शरीर की मदद करता है। इस प्रक्रिया के पश्चात भी यदि शुगर की मात्रा बच जाए तो वो ग्लाइकोजन के रूप में हमारे यकृत में जमा हो जाती है, जो बाद में वसा के रूप में बदल जाती है।
अग्नाशय जब इंसुलिन की उतनी मात्रा उत्पन्न नहीं कर पाता जितनी आवश्यकता रक्त से शर्करा के अवशोषण हेतु चाहिए, तब इस रोग की उत्पत्ति होती है। इसीलिए मधुमेह के अधिकतर रोगी मोटापे के भी शिकार होते हैं। मधुमेह आनुवंशिक रोग भी है तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसका संचार होता रहता है।
• शारीरिक ब्यायाम नहीं करना
• मोटापा
• जरूरत से अधिक भोजन करना
• खराब जीवन शैली
डाइबिटीज के मुख्य लक्षण : Symptems of Diabetes
मधुमेह दो प्रकार का होता है-इंसुलिन निर्भर मधुमेह व गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह। इंसुलिन निर्भर मधुमेह तब होता है जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन पूर्णत: रुक जाता है। इस प्रकार का मधुमेह सामान्यतया किशोरावस्था से ही शुरू हो जाता है। यह रोग बड़ी तीव्र गति से पैदा होता व बढ़ता है। रोग लगने के कुछ ही दिनों में व्यक्ति स्वयं को बेहद कमजोर महसूस करने लगता है। उसके मूत्र की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है व उसे प्यास बहुत लगने लगती है। रोगी का वजन तेजी से कम होता जाता है। मस्तिष्क पर उदासी छाने लगती है। यह स्थिति इस बात की परिचायक है कि अब रोगी का तुरंत इलाज करवाया जाना चाहिए अन्यथा उसकी हालत इतनी गंभीर हो सकती है कि वो अपने होशो-हवास ही खो बैठे तथा चेतनाहीन अवस्था में चला जाए।
गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह की तीव्रता कम होती है। चूंकि इस अवस्था में शरीर में इंसुलिन का निर्माण पूर्णतया बंद नहीं होता, सिर्फ कम ही होता है, इसलिए इस अवस्था की तीव्रता प्रथम श्रेणी के मधुमेह से कम आंकी जाती है। यह रोग सामान्यत: 35-40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को होता है, मोटापे के शिकार व्यक्तियों में यह रोग जल्दी ही घर कर लेता है। इस रोग में थकान, प्यास, मूत्राधिक्य जैसे शुरुआती लक्षणों को प्रकट होने में कुछ वक्त लगता है। थकावट, धुंधली दृष्टि तथा शरीर में सूइयां चुभने का अहसास इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। मधुमेह के रोगी का पेशाब शहद की भांति गाढ़ा, लिसलिसा, मीठा तथा पिंगलवर्ण का होता है। रोगी के शरीर से मीठी-मीठी सी गंध आती है। रोग जब बढ़ जाता है तो रोगी के शरीर में अनेक प्रकार की पुंसियां उत्पन्न हो जाती हैं
• बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगना
• बार बार पेशाब जाना
• घाव नहीं भरना
• त्वचा का सूखना
उपचार
आंवलाः मधुमेह के रोगियों के लिए विटामिन ‘सी’ की प्रचुर मात्रा के कारण आंवला बेहद उपयोगी माना जाता है। यदि मधुमेह का रोगी आंवला व करेले का रस मिलाकर प्रतिदिन पीता रहे तो इससे उसके शरीर में इंसुलिन की तथा रक्त में शर्करा की भी पूर्ति होती रहती है। मधुमेह के रोगी आंवला, जामुन की गुठली तथा करेले का चूर्ण बनाकर नित्य एक चम्मच लें तो काफी लाभ होता है।
विशेषः कुछ लोग आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने की सिफारिश करते हैं। कई वैद्य व प्राकृतिक चिकित्सक भी यह सलाह देते हैं, परंतु इस संबंध में हमने प्राचीन ग्रंथों की मदद ली तथा उस पर चिकित्सकों की राय जानी तो पाया कि आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना सर्वथा हानिकारक है। हालांकि यह शोध का विषय है किन्तु पाठक इस बहस में पड़े बिना इस योग का सेवन न करें तो बेहतर होगा।
आमः मधुमेह यदि प्रारंभिक स्थिति में हो तो आम के कोमल पत्तों का रस अथवा प्रात:काल उनका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे रोग आगे नहीं बढ़ेगा तथा गंभीर रूप धारण नहीं करेगा। आम के पत्तों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन में दो बार लेने से निश्चित रूप से लाभ होता है। आम व जामुन का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह में काफी लाभ होता है। आम की गुठली का चूर्ण बनाकर तीन ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है व मधुमेह के रोगी की प्यास शांत होती है।
चकोतराः यदि चकोतरा काफी मात्रा में लिया जाए तो मधुमेह के पूर्णत: समाप्त होने की प्रबल संभावना रहती है। चकोतरे के सेवन से शरीर में स्टार्च की मिठास और वसा में कमी आती है जो मधुमेह के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है| मधुमेह के रोगियों को 2-3 चकोतरे नित्य खाने कि सलाह दी जाती है।
केलाः खूब पककर गलने पर काले पड़ गए केले एकत्र करके उनका छिलका उतारकर हाथों से मसलकर तरल लुआब जैसा बना लें। फिर उसमें आधा भाग चावल की भूसी मिलाकर 2-3 दिन गरम जगह पर रख दें। चौथे दिन किसी पात्र में सबको रखकर पात्र को टेढ़ा करके थोड़ी देर तक रखा रहने दें। केले का रस निथर कर अलग हो जाएगा। इसका नियमित सेवन करने से मधुमेह से छुटकारा पाया जा सकता है। अमरूदः अमरूदों को बारीक काटकर और कटे टुकड़ों को जल में डालकर कुछ देर तक रहने दें और उस जल को छानकर पीएं। इससे रोगी की तृषा दूर हो जाएगी।
पपीताः पपीता, कत्था, खैर तथा सुपारी के काढे का सेवन इस रोग से मुक्ति दिला देता है। यह चमत्कारी योग है।
गाजर : गाजर का रस 310 ग्राम तथा 185 ग्राम पालक का रस मिलाकर पीने से मधुमेह में काफी आराम मिलता है।
शलगमः नित्य शलगम की सब्जी खाने से काफी लाभ होता देखा गया है।
नीबूः मधुमेह के रोगी को प्यास अधिक लग रही हो तो पानी में नीबू निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है।
बेल: बेल के साथ नीम के पत्ते चबाने से लाभ होता है। बेल के 20-25 पत्ते तोड़कर कुछ देर पानी में डाल दें, फिर पानी से निकालकर उन्हें चटनी की तरह बारीक पीस ले व पुन: पानी में मिलाकर पी जाएं सुबह-शाम यह उपचार करें, तुरंत लाभ होगा। रात को डोडा पनीर के पंद्रह दाने पानी में भिगोकर रख दें। सुबह बेलपत्र का रस मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं। कुछ समय तक नियमित प्रयोग से मधुमेह जड़ से नष्ट हो जाएगा।
आज हम मधुमेह के मरीजों के लिए एक आसान पर चमत्कारी घरेलू नुख्सा लेकर आये है | यह उपाए बेहद आसान है इसमें इस्तेमाल होने वाली औषधि विटामिन , मिनरल और कई और गुणों से भरपूर है जो आपको मधुमेह के साथ साथ कई और भी लाभ प्रदान करेगी | इस्तेमाल होने वाली औषधि का नाम है ‘आम के पत्ते ’ |
Mango Leaves Can Treat Diabetes
विधि / इस्तेमाल
• पहले आम की 10-15 कोमल पत्तियां लेकर उनेह पानी के साथ किसी बाउल – Bowl में डाल कर उबलने के लिए आग पर रखिये |
• जब वे उबल जाए तो इस मिश्रण को सारी रात के लिए ऐसे ही छोड़ दें |
• दूसरी सुबहे इस मिश्रण को पुन लीजिये |
रोजाना खाली पेट इस मिश्रण का सेवन करने से 2-3 महीनों के भीतर नतीजे आपके सामने आ जायेगे |
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रोग प्रतिरोधक शक्ति को दुरुस्त बनाने का घरेलू उपाए HOME REMEDY TO BOOST ...

रोग प्रतिरोधक शक्ति को दुरुस्त बनाने का घरेलू उपाए – HOME REMEDY TO BOOST YOUR IMMUNE SYSTEM AND KEEP YOUR BODY HEALTHY
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immune system का मतलब होता है हमारे शरीर को किसी भी बाहरी कारक से बचाके हमे healthy बनाये रखने के लिए शरीर के अंदर जो रक्षा प्रणाली होती है उसे ही हम immune system  कहते है और उस क्षमता को हम  immunity कहते है  अगर आपकी Immunity सही हो तो आपको छोटी मोटी बिमारी नहीं लगती अगर लगती भी है तो एक दो दिन में ठीक हो जाती है | इसके विपरीत अगर आपका Immune system सही काम नहीँ कर रहा हो तो आप अच्छे भले वातावरण में भी किसी बिमारी का शिकार हो बैठते है |हमारे शरीर के आस पास हर समय करोडो Bacteria और Virus मौजूद होते है। हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति / Immune System इन खतरनाक  Bacteria और Virus से हमारे शरीर कि रक्षण करती है। आपने देखा होंगा किसमान परिस्थिति में भी कुछ व्यक्ति अक्सर जल्दी बीमार हो जाते है तो कुछ व्यक्ति अच्छी रोग प्रतिकार शक्ति होने की वजह से लम्बे समय तक बीमार नहीं होते है। For More Visit http://www.doctorfit.co.in
रोग प्रतिरोधक क्षमता हमें कई बीमारियों से सुरक्षित रखती है. छोटी-मोटी ऐसी कई बीमारियां होती हैं जिनसे हमारा शरीर खुद ही निपट लेता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर बीमारियों का असर जल्दी होता है. ऐसे में शरीर कमजोर हो जाता है और हम जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं.
हमारा इम्यून सिस्टम हमें कई तरह की बीमारियों से सुरक्ष‍ित रखता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कई तरह के बैक्टीरियल संक्रमण, फंगस संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है. इन बातों से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि इम्यून पावर के कमजोर होने पर बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि हम अपनी इम्यून पावर को बनाए रखें.

हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति कई चीजो पर निर्भर करती है जैसे कि हमारा खान-पान और हमारी जीवनशैली। शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त बनाने के लिए अच्छी सशक्त रोग प्रतिकार शक्ति होना बेहद आवश्यक है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं.कई बार ये खानपान की लापरवाही की वजह से होता है, कई बार नशा करने की गलत आदतों के चलते और कई बार यह जन्मजात कमजोरी की वजह से भी होता है.
अब सवाल ये उठता है कि अगर इम्यून पावर कमजोर हो जाए तो उसे बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? यहां ऐसे ही कुछ उपायों का जिक्र है जिन्हें आजमाकर आप एक सप्ताह के भीतर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं आज हम आपको बताएगे कैसे आप अपने Immune System को दुरुस्त बनाएं रख सकते है |
इम्यूनिटी बढ़ाने के तरीके
1. खानपान
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं हैकि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर दिया।इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बनजाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
- अगर खानपान सही है तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किसी दवा या अतिरिक्त कोशिश करनेकी जरूरत नहीं है। आयुर्वेद के मुताबिक, कोई भी खाना जो आपके ओज में वृद्धि करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमताबढ़ाने में मददगार है। जो खाना अम बढ़ाता है, वह नुकसानदायक है। ओज खाने के पूरी तरह से पच जाने के बादबनने वाली कोई चीज है और इसी से अच्छी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। पचने मेंमुश्किल खाना खाने के बाद शरीर में अम का निर्माण होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है।
- खानपान में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखें कि भूलकर भी वातावरण की प्रकृति के खिलाफ न जाएं।मसलन अभी सर्दियां हैं, तो आइसक्रीम खाने से परहेज करना चाहिए।
- बाजार में मिलने वाले फूड सप्लिमेंट्स का फायदा उन लोगों के लिए है, जिनकी खानपान की आदतें अजीब-सीहैं। मसलन जो लोग खाने में सलाद नहीं लेते, वक्त पर खाना नहीं खाते, गरिष्ठ और जंक फूड ज्यादा खाते हैं, वेअपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन सप्लिमेंट्स की मदद ले सकते हैं। अगर कोई शख्स सलाद,दालें, हरी सब्जी आदि से भरपूर हेल्थी डाइट ले रहा है तो उसे इन सप्लिमेंट्स की कोई जरूरत नहीं है। बाजार मेंकोई भी सप्लिमेंट ऐसा नहीं है जिसके बारे में दावे से कहा जा सके कि उसमें वे सभी विटामिंस और तत्व हैं, जोहमारी बॉडी के लिए जरूरी हैं। मल्टीविटामिंस के नाम से बिकने वाले प्रॉडक्ट में भी सभी जरूरी चीजें नहीं होतीं।इसलिए नैचरल खानपान ही सबसे बेहतर तरीका है।
- प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भीबचना चाहिए।
- विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है। इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू लें।
- जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिनड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
- फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं।
- खानपान में गलत कॉम्बिनेशन न लें। मसलन दही खा रहे हैं तो हेवी नॉनवेज न लें। दही के साथ कोई खट्टीचीज न खाएं।
- अचार का इस्तेमाल कम करें। जिन चीजों की तासीर खट्टी है, वे शरीर में पानी रोकती हैं, जिससे शरीर मेंअसंतुलन पैदा होता है। सिरका से भी बचना चाहिए।
- ठंड में शरीर को ज्यादा एक्सपोज न करें। ऐसा करने पर गर्म करने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनीहोगी, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
- स्ट्रेस न लें। कुछ लोगों में अंदरूनी ताकत नहीं होती। ऐसे में अगर ऐसे लोग स्ट्रेस भी लेना शुरू कर देंगे तोउनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता एकदम कम हो जाएगी। ऐसे लोगों को जल्दी-जल्दी वायरल इंफेक्शन होने लगेगा।
- ज्यादा देर तक बंद कमरे और बंद जगहों पर न रहें। जहां इतने लोग सांसें ले रहे होंगे, वहां इंफेक्शन जल्दीट्रांसफर होगा। खुली हवा में निकलें और लंबी गहरी सांसें लें
चिलीज : इनकी मदद से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। ये नैचरल ब्लड थिनर की तरह काम करती है और एंडॉर्फिंसकी रिलीज में मदद करती है। चिलीज में बीटा कैरोटीन भी होता है, जो विटामिन ए में बदलकर इंफेक्शन से लड़नेमें मदद करता है।
दालचीनी : एंटिऑक्सिडेंट से भरपूर होती है। दालचीनी लेने से ब्लड क्लॉटिंग और बैक्टीरिया की बढ़ोतरी रोकने मेंमदद मिलती है। ब्लड शुगर को स्थिर करती है और बुरे कॉलेस्ट्रॉल से लड़ने में मददगार है।
शकरकंद : प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाने में मददगार है। अल्जाइमर, पार्किंसन और दिल के रोगों को रोकने केलिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
अंजीर : अंजीर में पोटेशियम, मैग्नीज और एंटिऑक्सिडेंट्स होते हैं। अंजीर की मदद से शरीर के भीतर पीएच कासही स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है। अंजीर में फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम कर देता है।
मशरूम : कैंसर के रिस्क को कम करता है। वाइट ब्लड सेल्स का प्रॉडक्शन बढ़ाकर शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्रको बूस्ट करता है।
च्यवनप्राशआयुर्वेद में रसायन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद मददगार होते हैं। रसायन का मतलबकेमिकल नहीं है। कोई ऐसा प्रॉडक्ट जो एंटिऑक्सिडेंट हो, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो और स्ट्रेस को कमकरता हो, रसायन कहलाता है। मसलन त्रिफला, ब्रह्मा रसायन आदि, लेकिन च्यवनप्राश को आयुर्वेद में सबसेबढि़या रसायन माना गया है। इसे बनाने में मुख्य रूप से ताजा आंवले का इस्तेमाल होता है। इसमें अश्वगंधा,शतावरी, गिलोय समेत कुल 40 जड़ी बूटियां डाली जाती हैं। अलग-अलग देखें तो आंवला, अश्वगंधा, शतावरीऔर गिलोय का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है। मेडिकल साइंस कहता है कि शरीर में अगरआईजीई का लेवल कम हो तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। देखा गया है कि च्यवनप्राश खाने से शरीर में आईजीईका लेवल कम होता है। इसी तरह शरीर में कुछ नैचरल किलर सेल्स होती हैं, जिनका काम शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करना होता है। च्यवनप्राश इन कोशिकाओं के काम करने की क्षमता को बढ़ा देता है।
कैसे लें : च्यवनप्राश रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच लेना चाहिए। उसके बाद थोड़ा दूध ले लें। इसी तरह रातको सोते वक्त एक चम्मच च्यवनप्राश लें और उसके बाद दूध लें। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को च्यवनप्राशनहीं देना चाहिए। पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को दे सकते हैं, लेकिन आधा चम्मच सुबह और आधा चम्मचरात को। च्यवनप्राश सिर्फ सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार से ही दूर नहीं रखता, बल्कि लीवर की शक्ति को भी बढ़ाताहै। अगर कोई शख्स बीमारी से उठा है या ज्यादा बुजुर्ग है तो उसे च्यवनप्राश नहीं लेना चाहिए। इसे पूरे साल हरमौसम में लिया जा सकता है।
कुछ नुस्खे
  1. ग्रीन टी और ब्लैक टी, दोनों ही इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद होती हैं लेकिन एक दिन में इनके एक से दो कप ही पिएं. ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से नुकसान हो सकता है.
  2. कच्चा लहसुन खाना भीरोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एलिसिन, जिंक, सल्फर, सेलेनियम और विटामिन ए व ई पाए जाते हैं.
  3. दही के सेवन से भी इम्यून पावर बढ़ती है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर रखने में मददगार होती है.
  4. ओट्स में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-माइक्राबियल गुण भी होता है. हर रोज ओट्स का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है.
  5. विटामिन डी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इससे कई रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है. साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए और दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखने के लिए भी विटामिन डी लेना बहुत जरूरी है.
  6. संक्रामक रोगों से सुरक्षा के लिए विटामिन सी का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखने में मददगार होता है.
हल्दी
- सुबह खाली पेट आधा चम्मच ताजे पानी से ले सकते हैं।
- सिर्फ खांसी हो तो हल्दी को भूनकर शहद या घी के साथ मिलाकर चाट लें।
- गुड़ और गोमूत्र के साथ हल्दी का सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
- आंवले का रस एक चम्मच, हल्दी की गांठ का रस आधा चम्मच और शहद आधा चम्मच मिला लें। सुबह, शामलेने से सभी तरह के प्रमेह, मधुमेह और मूत्र रोगों में फायदा होता है।
अश्वगंधा
- आधा चम्मच अश्वगंधा सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध के साथ लें। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमतामें बढ़ोतरी होती है। शरीर को कमजोर कर देने वाले रोगों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं।
आंवला
- ताजे आंवले का रस या चूर्ण त्रिदोषनाशक है। आयुर्वेद में इसे बुढ़ापे और रोगों से दूर रखने वाला रसायन मानागया है। कहते हैं कि आंवले के स्वाद और बड़ों की बात की गहराई का पता देर से चलता है। एक साल तक रोजानाएक चम्मच आंवले का रस या आधा चम्मच चूर्ण ताजे पानी या शहद के साथ सेवन करने वालों को आंख, त्वचाऔर मूत्र संबंधी बीमारियों से जिंदगी भर के लिए निजात मिल जाती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ानेका अचूक नुस्खा है आंवला।
शिलाजीत
- सर्दियों में दूध के साथ शुद्ध शिलाजीत का सेवन करने से हड्डियों, लिवर और प्रजनन संबंधी रोग नहीं होते।शिलाजीत का सेवन करने वाले को कबूतर का सेवन नहीं करना चाहिए।
मुलहठी
- मुलहठी का चूर्ण आयुर्वेदिक एंटिबायॉटिक है। सर्दियों में दूध या शहद के साथ रोज मुलहठी चूर्ण लेने से शरीर कीप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्दी, खांसी, न्यूमोनिया जैसे रोग नहीं होते। कफ संबंधी बीमारियों को खात्मा होता हैऔर श्वसन संबंधी रोग भी नहीं होते। बच्चों को दो चुटकी मुलहठी चूर्ण शहद के साथ दिन में एक बार दी जासकती है। बड़ों को आधा चम्मच मुलहठी चूर्ण गर्म दूध के साथ दिन में एक बार लेना चाहिए।
तुलसी
- तुलसी के पत्तों में खांसी, जुकाम, बुखार और सांस संबंधी रोगों से लड़ने की शक्ति है। बदलते मौसम में तुलसीकी पत्तियों को उबालकर या चाय में डालकर पीने से नाक और गले के इंफेक्शन से बचाव होता है और शरीर कीरोग प्रतिरोधक क्षमता में गजब का इजाफा होता है।
 गिलोय
नीम के पेड़ में पान जैसे पत्तों वाली लिपटी लता को गिलोय के नाम से जाना जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधकक्षमता को बढ़ाने वाली इससे अच्छी कोई चीज नहीं है। इससे सभी तरह के बुखार, प्रमेह और लिवर से संबंधिततकलीफों से बचाव होता है। इसका इस्तेमाल वैद्य की सलाह से ही करना चाहिए। यह शरीर के तापमान को भीकंट्रोल करती है।
जवानी का नायाब नुस्खा : जो युवा हमेशा अपनी फिटनेस और जवानी बरकरार रखना चाहते हैं, उन्हें हर सालतीन महीने तक यह नुस्खा लेना चाहिए : आंवला, अश्वगंधा और गिलोय का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें औरइसे शहद के साथ लें।

समग्री :-

  • 3 – 4 लहसुन
  • कप शहद
  • एक कांच का जार
विधि :-
  • पहले लहसुन की पोथियों को अलग – अलग कर लीजिये लिकिन उन्हें छिलना नहीं है |
  • अब लहसुन की पोथियों को ग्लास जार में डाल लीजिये |
  • अब शहद को इस जार में डाल कर पूरा भर लीजिये (लहसुन पर) |
  • जार में लहसुन और शहद को डालने के बाद इसे अच्छी तरहे बंद कर दीजिये और कुछ दिनों के लिए फ्रिज में रख दीजिये |
आपकी Immune system booster drink तयार है | इसके सेवन से इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा | और आप कई बीमारियों के शिकार होने से बच जाओगे |
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Thursday, 29 September 2016

इन आदतों से होती है आप कि किडनी खराब Kidney Failure Causes and Habits

इन आदतों से होती है आप कि किडनी खराब Kidney Failure Causes and Habits
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किडनी फेलियर के मामले मे हमारा देश टॉप पर है। और यह बीमारी दुनिया मे तेजी से फैल रही है। किडनी का फेल होना हमारी कुछ खराब आदत के कारण होता है। क्योंकि हम अनजाने मे बहुत सी ऐसी गलतिया करते है। जो हमको पता ही नही होता। आज हम आपको ऐसी ही खराब आदतो के बारे मे बताएंगे जो किडनी को नुकसान पहुंचाती है For more Visit http://www.doctorfit.co.in
# किडनी की बीमारियां
किडनी की बीमारियां एवं किडनी फेल्योर पूरे विश्व एवं भारत में खतरनाक तेजी से बढ़ रहा है। भारत में प्रत्येक 10 में से एक इंसान को किसी ना किसी रूप में क्रोनिक किडनी की बीमारी होने की संभावना होती है। हर साल करीब 1,50,000 लोग किडनी फेल्योर की अंतिम अवस्था के साथ नये मरीज बनकर आते हैं, जिन्हें या तो डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी कुछ आम आदतें किडनी की सेहत बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार होती हैं तो चलिये जानते हैं किडनी को ख़राब करने वाली आदतों के बारे में।
# किडनी का महत्व
किडनी हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग है यह हमारे खून से विषैले पदार्थो को अलग करती है ।और सारे टॉक्सींस मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देती है। और अगर हमारी किडनी सही अवस्था मे नहीँ है। तो फिर हमारा रक्त भी साफ नही रहेगा और बीमारियाँ हमे घेर लेंगी।
# धुम्रपान और तम्बाकू
धुम्रपान व तंबाकू का सेवन से आपको कई सारी बीमारिया होती है। साथ ही आपकी किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है। क्योंकि इसके कारण ऐथेरोस्कलेरोसिस रोग भी होता है। जिस से रक्त की नलिकाओ मे रक्त का बहाव का बहुत धीमा पड़ जाता है। और किडनी को रक्त नही मिल पाता और उसके कार्यक्षमता घट जाती है है जिससे किडनी खराब हो सकती है।
# पानी कम पीना
पानी कम मात्रा में पीने से किडनियों को नुक़सान हो सकता है। पानी की कमी के चलते किडनी और मूत्रनली में संक्रमण होने का ख़तरा अधिक हो जाता है। जिससे पोषक तत्वों के कण मूत्रनली में पहुंचकर मूत्र की निकासी को बाधित करने लगते हैं। साथ ही किडनी में स्टोन की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए दिनभर में क म से कम 2 से 3 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है।
# सुबह उठकर पेशाब ना जाना
देखिये रात भर में मूत्राशय पूरी तरह मूत्र से भर जाता है, जिसे सुबह उठते ही खाली करने की ज़रूरत होती है। लेकिन जब आलस की वज़ह से लाग मूत्र नहीं त्यागते और काफी देर तक उसे रोके रहते हैं तो आगे चलकर यह किडनी को भारी नुकसान पहुंचाता है।
# नमक का अधिक सेवन
यह सत्य है कि नमक हमारे भोजन के स्वाद को बढाता है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन उल्टा प्रभाव ड़ालता है। हमारे द्वारा भोजन के माध्यम से खाया गया 95 प्रतिशत सोडियम गुर्दों द्वारा मेटाबोलाइज़्ड होता है। इसलिए नमक का अनावश्यक रूप से अधिक मात्रा में सेवन गुर्दों की क्रियाशीलता को बढ़ाकर उनकी शक्ति को क्षीण करता है।
# हाई बीपी के इलाज में लापरवाही
उच्च रक्तचाप अर्थात हाई बीपी के इलाज में लापरवाही किडनी समस्या का बड़ा कारण होती है। इसलिए हमेशा उचित समय पर अपना बीपी नापकर नियंत्रित रखें क्योंकि यह क्रोनिक किडनी की बीमारियों के लिये दूसरे नंबर पर आने वाला कारण होता है।
# शुगर के इलाज में कोताही करना
मधुमेह के शिकार लगभग तीस प्रतिशत लोगों को किडनी की बीमारी हो ही जाती है और किडनी की बीमारी से ग्रस्त एक तिहाई लोग मधुमेह पीड़ित हो जाते हैं। इससे यह बात तो तय है कि इन दोनों समस्याओं का आपस में ताल्लुक है। इसलिये खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित रहना आवश्यक होता है। साथ ही खान-पान को भी नियंत्रित रखना चाहिए।
# ज्यादा मात्रा में पेनकिलर लेना
डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं की खरीद से बचें। बिना डॉक्टर की सलाह के दुकान से पेनकिलर दवाएं खरीदकर उनका सेवन किडनी के लिये खतरनाक हो सकता है। सामान्य दवाएं जैसे नाम स्टेरराईट एंडी इन्फेलेमेटरी दवाएं (इब्यूप्रोफेन) आदि के नियमित रूप से सेवन करने से वे किडनी को नुकसान पहुंचा कर पूरा तरह खराब भी कर सकती है।
# अन्य नुकसानदेह आदतें
किडनी को खराब करने में कुछ अन्य आदतें जैसे, बहुत ज्यादा शराब पीना, पर्याप्त आराम न करना, सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा लेना, देर तक भूखा रहना या दूषित भोजन करना, हाईपरटेंशन का इलाज ना कराना तथा बहुत ज्यादा मांस खाना भी कुछ ऐसी आदते हैं जिनकी वजह से किडनी को भारी नुकसान पहुंचता है।
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लक्ष्मी कृपा और दरिद्रता नाश के लिए करे कुछ सरल उपाय Vastu Tips for Money

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कई बार अधिक मेहनत करने के बाद भी घर में आर्थिक तंगी बनी रहती है। व्यक्ति कुछ ऐसे कार्य कर लेता है जिससे लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। देवी लक्ष्मी की कृपा से ही घर में धन-संपति में वृद्धि होती है। कुछ सरल उपायों को करने से घर में देवी लक्ष्मी की .कृपा सदैव बनी रह सकती है आइये जानते है कुछ सरल उपाय जिनसे आप माँ लक्ष्मी की कृपा प् सकते है for more visit https://www.doctorfit.co.in

# आटे में शक्कर मिलाकर चीटियों को खिलाने से धन सबंधी चिंताओं से मुक्ति मिलती है

# घर में बनाई पहली रोटी या चावल गाय को खिलाने से दरिद्रता का नाश होता है

# सुबह घर के किसी भी सदस्य के भोजन करने से पूर्व झाड़ू अवश्य लगा ले

# सूर्योदय के पश्चात घर में झाड़ू-पोछानही लगाना चाहिए ऐसा करने से लक्ष्मी जी रुष्ट हो जाती है

# सफेद वस्तुए जैसे दूध ,खीर ,सफेद पुष्प ,चावल आदि का दान करने से धन प्राप्ति के योग बनते है

# धन से सबंधित लेन देन के लिए सोमवार और बुधवार के दिन का चुनाव करे इस दिन लेन देन करना लाभदायक होता है

# घर की दीवारों या फर्श पर पेन पैंसिल से निशान नही बनाने चाहिए इस प्रकार करने से कर्ज में बढोतरी होती है

# तिजोरी में सदैव धन बना रहे इसके लिए उसमे लक्ष्मी यंत्र या कुबेर यंत्र अवश्य रखना चाहिए

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रात को सोने से पहले एक गिलास ! करेगा शरीर को डीटाक्स- TAKE THIS DETOX DR...

रात को सोने से पहले एक गिलास ! करेगा शरीर को डीटाक्स- TAKE THIS DETOX DRINK BEFORE YOU GO TO BED
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शरीर के हर एक अंग को सफाई की आवशकता होती है | शरीर के कई अंग विषैले तत्वों को सोख लेते है , जब शरीर के किसी अंग में विषैले तत्वों की संख्या हद से बड जाती है तो शरीर के कई हिस्से अपना काम करना बंद कर देते है नतीजे में शरीर को कई बीमारियाँ लग जाती है |एक स्वस्थ्य जिंदगी का सबसे बड़ा राज यह है कि अपने शरीर से विषैले तत्वों को निकाला जाए जिसे हम Detoxification कहते है । इसलिए अब तक आप अपने शरीर के साथ जो बुरा करते आए हैं, उन्हें सुधार लें For More Visit http://www.doctorfit.co.in
क्या आप हमेशा सुस्ती का अनुभव करते हैं? क्या अचानक से आपके चेहरे पर मुहांसे और त्वचा पर फुंसी निकल आती हैं? क्या आप अपने पाचन तंत्र में गड़बड़ी महसूस कर रहे हैं? अगर हां, तो आपके शरीर को डीटाक्स- Detox करने की जरूरत है। आज हम Crazy India की तरफ से आपको शरीर को डीटाक्स करने वाली ड्रिंक – Detox Drink के बारे में बताएगे | इस ड्रिंक को कहीं से खरीदने की जरूरत नहीं है , बल्कि इसे आप घर बैठे बना सकते है | सबसे पहले हम आपको बता रहे कुछ फ़ूड के बारे मैं जिनसे भी आप अपने शरीर को डेटॉक्स कर सकते है
1. एंटी-ऑक्सीडेंट की आदत डालें डीटाक्सीफाइ का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप ज्यादा से ज्यादा फल और हरी सब्जियां खाएं। इससे लीवर एंजाइम सक्रिय होंगे और शरीर में मौजूद नुकसानदायक पदार्थो को बाहर निकालने में मदद करेंगे।
2. ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का चयन करें कीटनाशक दवाइयों और विषैले तत्वों के खतरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि ऑर्गेनिक फूड का सहारा लिया जाए।
3. हर्बल चाय का सेवन करें पाचन तंत्र की समस्या से निजात पाने के लिए ग्रीन टी या कैमोमाइल टी का सेवन करें। इससे नींद भी अच्छी आएगी। ये चाय शरीर में रक्त संचार को भी बढ़ाता है, जो शरीर से विषैले तत्वों को हटाने में मददगार होते हैं।
4. खुद का एंटी-ऑक्सीडेंट बनाएं ज्यादा से ज्यादा लहसुन और अंडे खाएं। ये सल्फ्यूरिक तत्वों से भरपूर होते हैं। ये तत्व शरीर में ग्लूथाथीओन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट के निर्माण में सहायक होते हैं। ये शरीर में मौजूद रसायन और भारी धातु सहित अन्य विषैले तत्वों को भी बाहर निकाल देते हैं।
5. लेमन जूस पीएं एक ग्लास लेमन जूस पीने से न सिर्फ शरीर शुद्ध होता है, बल्कि इससे शरीर में क्षार की मात्रा भी बढ़ती है। यह एक सर्वश्रेष्ठ डीटाक्स ड्रिंक है। इसलिए ताजे लेमन जूस पीने पर ज्यादा ध्यान दें।
6. चीनी को कहें ना अगर आप अपने शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाना चाहते हैं और इसे विषैले तत्वों से दूर रखना चाहते हैं, तो चीनी सेवन की मात्रा घटा दीजिए। हर तरह के मीठे से जहां तक हो सके दूरी बनाइए।
7. ज्यादा पानी पीएं हर दिन करीब 8-12 ग्लास पानी पीएं। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व मूत्र और पसीने के रास्ते से बाहर निकल जाएंगे।
8. हल्का खाना खाएं लगातार हल्का आहार लें और करीब एक महीने तक शराब से दूर रहें। इस विधि से न सिर्फ आपकी ऊर्जा बढ़ेगी, बल्कि इससे आपके वजन के साथ-साथ कोलेस्ट्रोल और ब्लड सूगर का स्तर भी कम होगा।
9. मसाज करवाएं अपने शरीर का अच्छे से मसाज करवाएं। इससे भी विषैले तत्वों से निजात मिलेगा।
10. हर दिन 45 मिनट व्यायाम करें अपने दिन की शुरुआत ब्रिस्क वॉकिंग, रनिंग, जॉगिंग या साइकलिंग से करें। इससे शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी लाभ पहुंचेगा।
11. गहरी सांस लें गहरी सांस लें। इससे स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ-साथ पूरे शरीर में ऑक्सीजन का भी अच्छे से संचार होगा।
12. नाक की करें सफाई हम एक ऐसे वातावरण में रहते हैं, जो धूल और प्रदुषण से भरे पड़े हैं। इससे आपको एलर्जी हो सकती है। इससे बचने के लिए अपने नाक को नियमित रूप से धोएं। ऐसा करने पर वायु प्रदुषक से छुटकारा मिलेगा और नींद भी अच्छी आएगी।
13. योग करें योग न सिर्फ डीटाक्सीफाइ में मददगार होता है, बल्कि इससे दिमाग को भी फायदा पहुंचता है। हर सुबह आप कुछ साधारण योग करके भी अपने शरीर के विषैले तत्वों से छुटकारा पा सकते हैं।
14. जूस पीएं ताजे फलों और सब्जियों के जूस पीने की मात्रा को बढ़ाएं।
15. आराम भी करें आलस्य और सुस्ती से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि आप पर्याप्त नींद लें। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप हर दिन 8 घंटे की नींद लेते हों।
16. एक्स्फोलीएट अपने त्वचा से विषैले तत्व निकालने के लिए स्किन एक्स्फोलीएट करें। इससे शरीर का रक्त संचार भी बेहतर होगा।
17. कुछ आदतों को छोड़ें अगर आप सिगरेट और शराब का अधिक सेवन करते हैं, तो यह आदत छोड़ दें। यहां तक की थोड़ा सिगरेट पीना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसके अलावा, अगर आप शराब पीते हैं, तो इसे जहां तक हो सके, कम से कम पीएं।
18. धीरे-धीरे खाएं खाना धीरे-धीरे खाएं। भले ही इसमें ज्यादा समय लगे, पर भोजन को अच्छी तरह से चबाएं। धीरे-धीरे खाने से पाचन की समस्या से निजात मिलेगा और आप अपने भोजन का आनंद भी उठा सकेंगे।
19. माइक्रोवेव से बचें खाने को माइक्रोवेव में रखने से इसमें मौजूद प्रोटीन की संरचना बदल जाती है। इसे खाने से शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं, माइक्रोवेव से रेडिएशन भी निकलता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
20. बेक किया हुआ आहार न लें सिके हुए आहार देखने में भले ही सुंदर लगते हों, पर यह फूड कलर और प्रकृतिक रंगों से भरे होते हैं। इससे शरीर के साथ-साथ दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है।
अब हम बात करते है डेटॉक्स ड्रिंक के बारे में
Detoxification Process In Hindi
समग्री :-
• 1/3 कप पानी
• 1 अदरक
• 1 खीरा
• 1 गुथी धनिया
• ½ नीम्बू
विधि :-
• पहले धनिये को कद्दूकस कर लीजिये तांकि यह एक चमच रह जाए |
• खीरे को टुकड़ों में काट लीजिये
• सारी समग्री को एकसाथ ब्लेंडर में डाल कर मिक्स कर लीजिये
• यह एक झागदार मिश्रण में तब्दील हो जाएगा (आप चाहें तो इसमें शहद भी डाल सकते हो स्वाद के लिए )
रोजाना सोने से पहले इस ड्रिंक का सेवन आपको विषैले तत्वों से मुक्त कर देगा | कुछ ही दिनों में आपको फ
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रात को नहीं खानी चाहिए ये 10 चीजें और अगर इन चीजों को करेंगे डिनर में शा...

रात को नहीं खानी चाहिए ये 10 चीजें और अगर इन चीजों को करेंगे डिनर में शामिल तो हरदम रहेंगे फिट
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हर व्यक्ति की खाने से जुड़ी अपनी अलग आदतें होती हैं। इसलिए कुछ लोग शाम के समय जल्दी खाना खा लेते हैं, जबकि कुछ लोग देर से खाते हैं। शरीर पर इन आदतों का तो असर पड़ता ही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपने रात को जो खाना खाया है, उसका सीधा असर आपकी नींद पर पड़ता है। जी हां, रात को सोने से पहले आपने जो खाना खाया है, यदि ठीक नहीं है तो आपको बहुत जल्दी गहरी नींद नहीं आएगी। For More Visit https://doctorfit.co.in
आयुर्वेद में माना गया है कि हमेशा सोने से दो घंटे या उससे पहले खाना शरीर के लिए ज्यादा उचित रहता है। खाने के तुरंत बाद सोने से मोटापा बढ़ता है। साथ ही, हमारा पाचन तंत्र भी इससे प्रभावित होता है। वैसे, अगर सोने से थोड़ी देर पहले कुछ खाया जाए तो वह चीज ऐसी होनी चाहिए जो आसानी से पच जाए। सोने से पहले हाई-कैलोरी वाला खाना लेने से हार्टबर्न जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं, जिनका सेवन सोने से पहले किया जाना शरीर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं खाने की कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनका सेवन यदि सोने से पहले किया जाए तो शरीर को बहुत नुकसान हो सकता है।
1. पास्ता एक झट से तैयार होने वाला व्यंजन है, इसीलिए कई बार लोग देर रात को पास्ता खाकर सो जाते हैं, जबकि पास्ता में बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट व अन्य कई ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें शरीर जल्दी से नहीं पचा पाता है। देर रात इसके सेवन से कब्ज व हाइपर एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
2. ज्यादा मसालेदार खाना या मिर्च युक्त खाना भी रात के समय शरीर में पित्त बढ़ाने का काम करता है। जब मिर्ची को अन्य विशेष घटकों के साथ मिलाया जाता है तो यह बहुत स्वास्थ्यप्रद और लाभकारी होती है, लेकिन अधिक मिर्च व मसाले वाला खाना बहुत हानिकारक होता है।
3. देर रात को मिठाई खाना भी सेहत की लिए ठीक नहीं होता है। मिठाई खाने से दांत खराब हो सकते हैं। मोटापा बढ़ता है। साथ ही, शरीर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. नूडल्स में बहुत हाई-कैलोरी होती है। इसलिए इनका सेवन सोने से पहले नहीं करना चाहिए। जब आपको भूख लगती है तो यह एकमात्र ऐसा पदार्थ है, जो 30 मिनिट से भी कम समय में तैयार हो जाता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि नूडल्स में कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक मात्रा में होता है जो वसा में बदल जाता है। सोने से पहले नूडल्स खाने से पेट से जुड़ी अनेक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सोने से पहले उच्च वसा युक्त पदार्थ से दूर रहना चाहिए।
5. नॉनवेज प्रोटीन और आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है। यही कारण है कि रात के समय इसकी अधिक मात्रा लेने पर शांत और आरामदायक नींद नहीं आती है।
6. ज्यादा फाइबर वाली सब्जियां या खाद्य पदार्थ जैसे ब्रोकोली, प्याज, पत्तागोभी आदि का सेवन रात को सोने से पहले नहीं करना चाहिए। दरअसल, इनमें जल्दी न पचने वाले फाइबर (रेशे) की मात्रा बहुत अधिक होती है। इस वजह से आप बहुत अधिक समय तक पेट भरा हुआ महसूस करते हैं। रात में इन्हें खाने से पाचन तंत्र में फाइबर की गति बहुत कम होती है। इसके कारण पेट फूलने जैसी समस्या हो सकती है।
7. चीज बर्गर में अधिक मात्रा में वसा होती है। इस वजह से रात के समय इसे खाने से इसका ठीक से पाचन नहीं हो पाता है। इससे पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
8. स्नैक्स, चिप्स आदि का सेवन भी सोने से पहले करने से शरीर को नुकसान होता है, क्योंकि इनमें बहुत अधिक मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है। इसके कारण नींद से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं।
9. सोने से पहले कभी डार्क-चॉकलेट भी नहीं खाना चाहिए। डार्क चॉकलेट में कैफीन और अन्य कई ऐसे पदार्थ होते हैं। जो दिल की कार्य करने की क्षमता को बढ़ा देते हैं। जिसके कारण गहरी नींद नहीं आ पाती है और मस्तिष्क भी शांत नहीं रह पाता है।
10. रात को खाने पर शरीर के लिए पिज्जा को पचाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि पाचन तंत्र को दिन के समय ही इसे पचाने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है तो कल्पना कीजिए कि जब आप शाम के समय पिज्जा खाते हैं तो आपके पाचन तंत्र को कितनी मेहनत करनी पड़ती होगी।
जबकि यह पाचन तंत्र के आराम का समय होता है। पिज्जा में चिकनाई बहुत अधिक होती है। इसमें जो घटक होते हैं उनमें बहुत अधिक मात्रा में एसिड होता है, जिसके कारण हार्टबर्न का खतरा बढ़ जाता है
इन चीजों को करेंगे डिनर में शामिल तो हरदम रहेंगे फिट
1. फिट रहने के लिए ऐसा हो रात का भोजन
आमतौर पर लोग नाश्ता लाइट और रात का भोजन हैवी करते हैं जबकि होना इसका उल्टा चाहिए। क्या आप सचमुच ये जानने के इच्छुक हैं कि रात के समय ऐसी क्या चीजें खाएं जिससे आप फिट भी रहें और बॉडी शेप में भी रहे।
2. हेल्दी डिनर हो
आज हम आपको बताएंगे रात के समय खाने में किन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए और किन चीजों को करने से बचना चाहिए। जानिए, कुछ टिप्स जिससे आपका रात का भोजन बना सकता है आपको हेल्दी।
3. कैलोरी
अगर आप फिट और हेल्दी रहना चाहते हैं तो आपको रात के समय सिर्फ 450 से 500 कैलोरी तक के फूड ही खाने चाहिए। अगर आप अपनी बॉडी पर वर्क कर रहे हैं और वजन भी नियंत्रित कर रहे हैं तो आप 550 कैलोरी तक खा सकते हैं।
4. कार्ब्स
डिनर में अधिकत्तर कार्ब्स खाएं। डिनर का 45 से 55 फीसदी हिस्सा कार्ब्स फूड्स से भरपूर होना चाहिए। यानी 50 से 75 ग्राम कार्ब्स। आप रात में कार्बोहाड्रेट खाने से घबराएं नहीं। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि रात में कार्ब्स खाने से वजन बढ़ जाता है।
5. ऊर्जा बनाए रखने के लिए कार्ब्स जरूरी
लेकिन आप कार्ब्स की कम कैलोरी लेंगे तो आप फिट रहेंगे क्योंकि शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए कार्ब्स भी जरूरी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी रात में खाने के बाद मिठाई और चिप्स की ललक को कम करना है तो डिनर में कार्ब्स का होना बहुत जरूरी है।
6. प्रोटीन
फिट रहने के लिए रात के खाने में 20 से 25 फीसदी प्रोटीन युक्त फूड शामिल होना चाहिए। यानी 25 से 35 ग्राम प्रोटीन का सेवन रात में जरूर करें। प्रोटीन के सेवन से मांसपेशियों को मजबूत बनाएं रखने में मदद मिलती है और रात में मांसपेशियों के पुनर्निर्माण में प्रोटीन मददगार है।
7. डिनर में प्रोटीन इसलिए जरूरी
डिनर में प्रोटीन होने से आपको खाने के बाद संतुष्टि मिलती है और दोबारा कुछ ओर खाने का मन नहीं करता।
8. फैट
लोगों का मानना है कि फैट फ्री खाना खाना चाहिए लेकिन शरीर को मजबूत बनाने और त्वचा की देखभाल के लिए फैटी फूड खाना भी बेहद जरूरी है। रात के भोज में आप 15 से 25 ग्राम फैट यानी आपकी कुल कैलोरी का 30 से 35 फीसदी हिस्सा फैटी फूड को दे सकते हैं।
9. फैटी फूड ना लें
फैटी फूड में बीफ या चीज़ जैसी चीजों को शामिल करने के बजाय आपको ऑलिव ऑयल, तिल का तेल, नारियल तेल, एवोकैडो, ऑलिव्स, नट्स और सीड्स को शामिल करना चाहिए।
10. फाइबर
फिट रहने के लिए दिनभर में 25 ग्राम फाइबर फूड खाना जरूरी है। ऐसे में रात के समय कम से कम 8 ग्राम फाइबर फूड अपने खाने में शामिल करें। फाइबर युक्त फूड कार्बोहाइड्रेट्स फूड्स में भी शामिल होते हैं जैसे साबुत अनाज, बींस, फलों का एक छोटा टुकड़ा, एवोकैडो, नट्स और सीड्स को शामिल किया जा सकता है।
11. शुगर
डिनर में चार ग्राम या एक चम्मच टेबलस्पून शुगर को शामिल करें। शुगर के तौर पर सॉस ली जा सकती है।
12. इस समय पर करें भोजन
आदर्श रूप से रात का खाना शाम के 3.30 स्नैक्स के दो से तीन घंटे बाद हो जाना चाहिए। अगर आप काम के बाद एक्सरसाइज प्लान कर रहे हैं तो स्नैक्स 4.30 तक ले लें। फिर 5.30 बजे आप व्यायाम करें और 7.30 बजे तक डिनर कर लें। आप जितनी जल्दी डिनर करेंगे आपके लिए उतना ही फायदा है।
13. ध्यान रखने योग्य बातें
खाने के दौरान छोटी प्लेट का इस्तेमाल करें। शुरूआत में कम खाना ही लें। भूख से एक रोटी कम ही खाएंगे तो अच्छा है। डिनर का समय निर्धारित करेंगे तो बेहतर है। ताजा खाना खाने की कोशिश करें।
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Tuesday, 27 September 2016

करें ये अचूक उपाय, घर-परिवार में चल रही समस्याओं का होगा अंत



करें ये अचूक उपाय, घर-परिवार में चल रही समस्याओं का होगा अंत These Infallible Measure will resolve all Households ProblemsDownload our Mobile App for all Video: - https://goo.gl/txgp3KFind us on Facebook:- https://facebook.com/healthsolution.co.in

जीवन और समस्याएं एक दूसरे की पूरक हैं। जिंदगी के आरंभ से लेकर अंत तक ये पीछा नहीं छोड़ती। कुछ परेशानियां आती हैं और चली जाती हैं। कई बार ऐसा होता है की ये दीमक की भांति चिपक जाती हैं और खुशहाल जीवन को खोकला करने लगती हैं। ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जो अचूक फल देते हैं। इन्हें अपनाकर घर-परिवार में चल रही किसी भी समस्या का हल कर सकते हैं। For More Visit https://www.doctorfit.co.in
#  घर में लड़ाई-झगड़ा रहता है तो उसे प्रेम में बदलने के लिए रात 12 से लेकर 3 बजे के बीच, जिस पात्र से सभी पारिवारिक सदस्त पानी पीते हैं उसमें से एक लौटा पानी लेकर घर की चारों दिशाओं में और बीचों-बीच थोड़ा जल छिड़क दें। यह उपाय गुप्त रूप से करें।   
#  लंबे समय से कोई पारिवारिक सदस्य बीमार चल रहा हो तो रात को सोने से पहले, उसके तकीए के नीचे एक सिक्का रख दें। सुबह उठकर इस सिक्के को श्मशान में फेंक आएं। 
#  पति या पत्नी दोनों में कोई भी प्रतिदिन एक गेंदे के फूल पर सिंदुर लगाकर तुलसी पर अर्पित करें। वैवाहिक जीवन में आ रही सभी समस्याएं खत्म होंगी और प्रेम बढ़ेगा।
#  शनिवार को सरसों के तेल में पकौड़े बनाकर गरीबों को बांटे, शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी। 
#  बेटी के सुखी दांपत्य जीवन के लिए एक लोटे में पानी, हल्दी और सिक्का डालकर विदाई के समय उसके आगे फेंक दें।
# जिस दिशा में काम से जा रहे हैं, उसकी उल्टे हाथ की दिशा में 4 कदम बढ़ाएं फिर काम पर जाएं। सफलता कदम चूमेगी।
# मंगलवार को आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को डालें, धन संबंधित समस्याओं का समाधान होगा।
# सूखे नारियल को थोड़ा सा ऊपर से काट कर उसमें शक्कर भरें, कच्ची जमीन के नीचे दबा दें। मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।
# हनुमान जी के बाएं पैर का सिंदूर लगाएं नजर दोष से छुटकारा मिलेगा।
#   शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
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सिर दर्द, नजला, जुकाम, आधा शीशी साइनस का बाप हो जायेगा दर्द सेकंड में दूर

सिर दर्द, नजला, जुकाम, आधा शीशी साइनस का बाप हो जायेगा दर्द सेकंड में दूर
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सिरदर्द या शिरपीड़ा (शिरपीड़ा (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है। For More Visit https://www.doctorfit.co.in
नजला-जुकाम एक बहुत ही आम और हमेशा परेशान करने वाला रोग है। वास्तव में यह रोग नहीं, शरीर की एक सांवेदनिक प्रतिक्रिया है, जो मौसम बदलने, नाक में धूल कण जाने आदि से उत्पन्न होती है। पूरे विश्व के लोग कभी न कभी, इसके शिकार होते ही हैं। नज़ला-जुकाम शीत के कारण होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें नाक से पानी बहने लगता है। मामूली- सा दिखने वाला यह रोग, कफ की अधिकता के कारण अधिक कष्टदायक हो जाता है। यों तो ऋतु आदि के प्रभाव से दोष संचय काल में संचित हो कर अपने प्रकोप काल में ही कुपित होते हैं, परंतु दोषों के प्रकोपक कारणों की अधिकता, या प्रबलता के कारण तत्काल भी कुपित हो जाते हैं, जिससे जुकाम हो जाता है; अर्थात नज़ला-जुकाम शीत काल के अतिरिक्त भी हो सकता है
आधा शीशी का दर्द,माइग्रेन अथवा आधे सिर का दर्द
ये तीनों एक ही रोग के तीन अलग अलग नाम हैं।वैसे तो कई बार यह रोग सामान्य सिर दर्द मानकर नजरंदाज कर दिया जाता है लैकिन यह नजरंदाजी कभी कभी विकराल रुप धारण कर लेती है।माइग्रेन को सिरदर्द मानना एक भूल है ये दोनों अलग अलग स्वतंत्र रोग हैं यह तंत्रिका तंत्र का वह विकार है जो रक्त नलिकाओं के फैल जाने से होता है इसके दौरे के समय दिमाग के आसपास के तंतुओं में सूजन आ जाती है परिणाम स्वरुप भयंकर दर्द होता है।इस रोग में दर्द अक्सर सिर के एक भाग तक ही सीमित रहता है किन्तु कभी कभी गर्दन व कंधे तक भी पहुँच जाता है।माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों का हो सकता है और यह भी हो सकता है कि कई दिनों तक भी रहै।क्योंकि यह दर्द दिमाग से संबंधित है अतः रोगी विल्कुल शिथिल हो जाता है।यह रोग किसी को कभी भी घेर सकता है।
जवकि सिर दर्द रक्त नलियों में संकुचन या सिकुड़न होने से होता है।यह वहुत ज्यादा समय भी नही रहता है जबकि माइग्रेन का दर्द कभी भी पड़ सकता है।माइग्रेन का दर्द आनुवंशिक भी हो सकता है। इस रोग में दिनचर्या में गड़बड़ी या सिर में थोड़ी सी हलचल भी रोग को बढ़ा देती है।माता या पिता में से अगर कोई इस रोग से ग्रस्त है तो बच्चों में इस रोग के होने की संभावना 50 प्रतिशत तक हो सकती है।
माइग्रेन के लक्षण-------
मितली आना या उल्टी होना,रोशनी और आवाज के प्रति अति संवेदनशील हो जाना,बोलने में कठिनाई होना,सिर के आधे भाग में ही दर्द रहना,चत्ते चत्ते से दिखना,दर्द का चार से 72 घण्टे तक रहना,शारीरिक गतिविधियों के साथ दर्द बढ़ना माइग्रेन के सामान्य लक्षण हैं।
इस रोग के इलाज में माडर्न दवाएं ज्यादा सफ़ल नहीं हैं। साईड ईफ़ेक्ट ज्यादा होते हैं।
1) बादाम 10-12 नग प्रतिदिन खाएं। यह माईग्रेन का बढिया उपचार है।
2) बन्ड गोभी को कुचलकर एक सूती कपडे में बिछाकर मस्तक (ललात) पर बांधें। रात को सोते वक्त या दिन में भी सुविधानुसार कर सकते हैं। जब गोभी का पेस्ट सूखने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधें। मेरे अनुभव में यह माईग्रेन का सफ़ल उपाय हैं।
3) अंगूर का रस 200 मिलि सुबह-शाम पीयें। बेहद कारगर नुस्खा है।
4) नींबू के छिलके कूट कर पेस्ट बनालें। इसे ललाट पर बांधें । जरूर फ़ायदा होगा।
5) गाजर का रस और पालक का रस दोनों करीब 300 मिलि पीयें आधाशीशी में गुणकारी है।
6) गरम जलेबी 200 ग्राम नित्य सुबह खाने से भी कुछ रोगियों को लाभ हुआ है।
7) आधा चम्मच सरसों के बीज का पावडर 3 चम्मच पानी में घोलक्रर नाक में रखें । माईग्रेन का सिरदर्द कम हो जाता है।
7) सिर को कपडे से मजबूती से बांधें। इससे खोपडी में रक्त का प्रवाह कम होकर सिरदर्द से राहत मिल जाती है।
8) माईग्रेन रोगी देर से पचने वाला और मसालेदार भोजन न करें।
9) विटामिन बी काम्प्लेक्स का एक घटक नियासीन है। यह विटामिन आधाशीशी रोग में उपकारी है। 100 मिलि ग्राम की मात्रा में रोज लेते रहें।
10) तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाएं।
11) हरी सब्जियों और फ़लों को अपने भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।
आज हम Crazy India की तरफ से इन सब बीमारियों के लिए एक रामबाण नुस्खा भी लेकर आये है
यह प्रयोग जुकाम, नजला (प्रतिश्याय), सिर शूल, दाढ़ पीड़ा, साइनस, आधा शीशी को क्षणों में ही दूर कर देता है. इसका असर ऐसा है के ये दवा नाक के पास लाते ही नाक की बंद नलिकाएं खुल जाती है. अगर यह अचेत (बेहोश) रोगी को भी सुंघा दें तो वो भी सचेत हो जाता है.यह योग अनेक लोगों पर अनुभूत है.
इस प्रयोग के लिए ज़रूरी सामान.
नौशादर – 10 ग्राम.
अनबूझा चूना – (10 ग्राम) (यह वो होता है जो घरो में पुताई में काम में लिया जाता है, जिसको रात में भिगो कर रखा जाता है बुझाने के लिए और सुबह इसको इस्तेमाल किया जाता है)
कपूर – 2 ग्राम.
उपरोक्त लिखा हुआ सारा सामान आपको किसी पंसारी से बड़ी आसानी से मिल जायेगा. अब जानिये इसको बनाने की विधि.
पहले नौशादर और चूना भली भाँती महीन पीस लें. और फिर कपूर को पीसकर सब वस्तुओं को शीशी में डालकर 12 ग्राम पानी मिला कर इस शीशी को कॉर्क के या किसी टाइट ढक्कन से बंद कर के रख दें.
आवश्यकता पड़ने पर शीशी का कॉर्क खोलकर नाक के पास ले जाएँ और तनिक धीरे धीरे सूंघे. ध्यान रखें के शीशी का ढक्कन ज्यादा देर तक खुला ना रह पाए. अन्यथा इनको मिलने से जो गैस उत्पन्न होगी वो उड़ जाएगी.
कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद इसमें गैस कम पड़ जाती है उस दशा में इसको हिला कर इस्तेमाल करें. और फिर भी प्रभावी ना हो तो इसको दोबारा बनायें.
अगर रोगी को पिछले तीनो योग एक ही बार सेवन कराएँ. अर्थात पहली पुडिया खिलाकर मलहम मल दें और फिर नस्य सुंघा दे तों बस ! लाभ ही लाभ है.
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