सिर दर्द, नजला, जुकाम, आधा शीशी साइनस का बाप हो जायेगा दर्द सेकंड में दूर
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सिरदर्द या शिरपीड़ा (शिरपीड़ा (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है। For More Visit https://www.doctorfit.co.in
नजला-जुकाम एक बहुत ही आम और हमेशा परेशान करने वाला रोग है। वास्तव में यह रोग नहीं, शरीर की एक सांवेदनिक प्रतिक्रिया है, जो मौसम बदलने, नाक में धूल कण जाने आदि से उत्पन्न होती है। पूरे विश्व के लोग कभी न कभी, इसके शिकार होते ही हैं। नज़ला-जुकाम शीत के कारण होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें नाक से पानी बहने लगता है। मामूली- सा दिखने वाला यह रोग, कफ की अधिकता के कारण अधिक कष्टदायक हो जाता है। यों तो ऋतु आदि के प्रभाव से दोष संचय काल में संचित हो कर अपने प्रकोप काल में ही कुपित होते हैं, परंतु दोषों के प्रकोपक कारणों की अधिकता, या प्रबलता के कारण तत्काल भी कुपित हो जाते हैं, जिससे जुकाम हो जाता है; अर्थात नज़ला-जुकाम शीत काल के अतिरिक्त भी हो सकता है
आधा शीशी का दर्द,माइग्रेन अथवा आधे सिर का दर्द
ये तीनों एक ही रोग के तीन अलग अलग नाम हैं।वैसे तो कई बार यह रोग सामान्य सिर दर्द मानकर नजरंदाज कर दिया जाता है लैकिन यह नजरंदाजी कभी कभी विकराल रुप धारण कर लेती है।माइग्रेन को सिरदर्द मानना एक भूल है ये दोनों अलग अलग स्वतंत्र रोग हैं यह तंत्रिका तंत्र का वह विकार है जो रक्त नलिकाओं के फैल जाने से होता है इसके दौरे के समय दिमाग के आसपास के तंतुओं में सूजन आ जाती है परिणाम स्वरुप भयंकर दर्द होता है।इस रोग में दर्द अक्सर सिर के एक भाग तक ही सीमित रहता है किन्तु कभी कभी गर्दन व कंधे तक भी पहुँच जाता है।माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों का हो सकता है और यह भी हो सकता है कि कई दिनों तक भी रहै।क्योंकि यह दर्द दिमाग से संबंधित है अतः रोगी विल्कुल शिथिल हो जाता है।यह रोग किसी को कभी भी घेर सकता है।
जवकि सिर दर्द रक्त नलियों में संकुचन या सिकुड़न होने से होता है।यह वहुत ज्यादा समय भी नही रहता है जबकि माइग्रेन का दर्द कभी भी पड़ सकता है।माइग्रेन का दर्द आनुवंशिक भी हो सकता है। इस रोग में दिनचर्या में गड़बड़ी या सिर में थोड़ी सी हलचल भी रोग को बढ़ा देती है।माता या पिता में से अगर कोई इस रोग से ग्रस्त है तो बच्चों में इस रोग के होने की संभावना 50 प्रतिशत तक हो सकती है।
माइग्रेन के लक्षण-------
मितली आना या उल्टी होना,रोशनी और आवाज के प्रति अति संवेदनशील हो जाना,बोलने में कठिनाई होना,सिर के आधे भाग में ही दर्द रहना,चत्ते चत्ते से दिखना,दर्द का चार से 72 घण्टे तक रहना,शारीरिक गतिविधियों के साथ दर्द बढ़ना माइग्रेन के सामान्य लक्षण हैं।
इस रोग के इलाज में माडर्न दवाएं ज्यादा सफ़ल नहीं हैं। साईड ईफ़ेक्ट ज्यादा होते हैं।
1) बादाम 10-12 नग प्रतिदिन खाएं। यह माईग्रेन का बढिया उपचार है।
2) बन्ड गोभी को कुचलकर एक सूती कपडे में बिछाकर मस्तक (ललात) पर बांधें। रात को सोते वक्त या दिन में भी सुविधानुसार कर सकते हैं। जब गोभी का पेस्ट सूखने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधें। मेरे अनुभव में यह माईग्रेन का सफ़ल उपाय हैं।
3) अंगूर का रस 200 मिलि सुबह-शाम पीयें। बेहद कारगर नुस्खा है।
4) नींबू के छिलके कूट कर पेस्ट बनालें। इसे ललाट पर बांधें । जरूर फ़ायदा होगा।
5) गाजर का रस और पालक का रस दोनों करीब 300 मिलि पीयें आधाशीशी में गुणकारी है।
6) गरम जलेबी 200 ग्राम नित्य सुबह खाने से भी कुछ रोगियों को लाभ हुआ है।
7) आधा चम्मच सरसों के बीज का पावडर 3 चम्मच पानी में घोलक्रर नाक में रखें । माईग्रेन का सिरदर्द कम हो जाता है।
7) सिर को कपडे से मजबूती से बांधें। इससे खोपडी में रक्त का प्रवाह कम होकर सिरदर्द से राहत मिल जाती है।
8) माईग्रेन रोगी देर से पचने वाला और मसालेदार भोजन न करें।
9) विटामिन बी काम्प्लेक्स का एक घटक नियासीन है। यह विटामिन आधाशीशी रोग में उपकारी है। 100 मिलि ग्राम की मात्रा में रोज लेते रहें।
10) तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाएं।
11) हरी सब्जियों और फ़लों को अपने भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।
आज हम Crazy India की तरफ से इन सब बीमारियों के लिए एक रामबाण नुस्खा भी लेकर आये है
यह प्रयोग जुकाम, नजला (प्रतिश्याय), सिर शूल, दाढ़ पीड़ा, साइनस, आधा शीशी को क्षणों में ही दूर कर देता है. इसका असर ऐसा है के ये दवा नाक के पास लाते ही नाक की बंद नलिकाएं खुल जाती है. अगर यह अचेत (बेहोश) रोगी को भी सुंघा दें तो वो भी सचेत हो जाता है.यह योग अनेक लोगों पर अनुभूत है.
इस प्रयोग के लिए ज़रूरी सामान.
नौशादर – 10 ग्राम.
अनबूझा चूना – (10 ग्राम) (यह वो होता है जो घरो में पुताई में काम में लिया जाता है, जिसको रात में भिगो कर रखा जाता है बुझाने के लिए और सुबह इसको इस्तेमाल किया जाता है)
कपूर – 2 ग्राम.
उपरोक्त लिखा हुआ सारा सामान आपको किसी पंसारी से बड़ी आसानी से मिल जायेगा. अब जानिये इसको बनाने की विधि.
पहले नौशादर और चूना भली भाँती महीन पीस लें. और फिर कपूर को पीसकर सब वस्तुओं को शीशी में डालकर 12 ग्राम पानी मिला कर इस शीशी को कॉर्क के या किसी टाइट ढक्कन से बंद कर के रख दें.
आवश्यकता पड़ने पर शीशी का कॉर्क खोलकर नाक के पास ले जाएँ और तनिक धीरे धीरे सूंघे. ध्यान रखें के शीशी का ढक्कन ज्यादा देर तक खुला ना रह पाए. अन्यथा इनको मिलने से जो गैस उत्पन्न होगी वो उड़ जाएगी.
कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद इसमें गैस कम पड़ जाती है उस दशा में इसको हिला कर इस्तेमाल करें. और फिर भी प्रभावी ना हो तो इसको दोबारा बनायें.
अगर रोगी को पिछले तीनो योग एक ही बार सेवन कराएँ. अर्थात पहली पुडिया खिलाकर मलहम मल दें और फिर नस्य सुंघा दे तों बस ! लाभ ही लाभ है.
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