निकाल बाहर करें रसोई में मौजूद ये तीन सफ़ेद ज़हर
हमारी रसोई जो अपने आप में आयुर्वेद की बहुत बड़ी प्रयोगशाला और अस्पताल थी, आज वही रसोई हमारी 90 प्रतिशत से अधिक बिमारियों का मुख्य कारण है. रसोई में मौजूद कुछ ज़हर ऐसे हैं जिनको हम नहीं निकाल सकते, और कुछ ज़हर ऐसे हैं जिनको हम निकालना ही नहीं चाहते, ऐसे में आज हम आपको ऐसे ही तीन सफ़ेद ज़हरों के बारे में बता रहें हैं. आप की सेहत के लिए ये घोर विष के समान हैं, समय रहते इनको निकाल दीजिये, जिस से आपका और आपके परिवार का आने वाला समय सेहतमंद रहे.30-40 साल पहले मनुष्य की औसत आयु कितनी थी, हर मनुष्य 70 से 80 तो कम से कम और 100 वर्ष तक तो हर स्वस्थ व्यक्ति को ही उम्मीद होती थी के वो जियेगा, मगर आज वो मनुष्य अपने आप को खुशकिस्मत समझते हैं जो 70 से 80 साल तक जी जाएँ, आज मनुष्य कि औसत आयु 50 से 60 साल ही रह गयी है. हमारी औसत आयु से 20 साल कम कर दिए, अभी ये किसने कम किये, इस भृष्ट व्यवस्था ने और हम जैसे आलसी जीवों ने, क्यूंकि हमको मेहनत करना पसंद नहीं. वो क्यूँ… आइये जानते हैं. For More Visit https://www.healthtreatment.in
निकाल बाहर करें रसोई में मौजूद ये तीन सफ़ेद ज़हर.
1. दानेदार चीनी एक सफ़ेद ज़हर.
Cheeni ke nuksan
अगर आप किसी 50-60 साल के व्यक्ति को पूछेंगे के भाई साब आपने सफ़ेद चीनी कब से खानी शुरू की है तो वो यही कहेंगे के ये 30-40 सालो से जीवन का हिस्सा बन गयी है. इस से पहले क्या खाते थे, तो इस से पहले या तो मिश्री होती थी या गुड होता था. मगर एक साज़िश के तहत गाँवों में गुड निकालना अंग्रेजी सरकार ने बंद करवा दिया और सब पर थोपनी शुरू कर दी सफ़ेद दानेदार चीनी, जो शारीर के लिए बिलकुल ज़हर है. पहले के लोग मिश्री को पीसकर या गुड से काम चला लिया करते थे, मगर आज कल मेहनत का समय किसके पास है, कौन तो मिश्री को कूटे या गुड को घोले तो तुरंत चीनी डालो और काम खत्म. और उसके नतीजे आप सब देख ही रहे हो, किडनी और लीवर काम करते करते थक जाते हैं, तो उनकी उम्र और कार्य शक्ति तो कम होगी ही. फिर चाहे वो श्वांस रोग हो, लीवर के रोग हो, किडनी के रोग हो, मोटापा हो, शुगर हो, हृदय रोग हो और चाहे वो कैंसर हो. हर कोई व्यक्ति इन में किसी ना किसी बीमारी का शिकार है, तो क्या आप चाहते हैं के आपके आने वाली पीढ़ी भी इसका शिकार बने ? फैसला आपके हाथ. आप डिमांड करेंगे तो दुकानदार भी मिश्री रखेंगे… आप डिमांड ही नहीं करेंगे तो वो क्यों रखेंगे…
2. सफ़ेद आयोडीन नमक.
Iodine namak ke nuksan
आज से करीब 40 साल पहले सरकार ने पश्चिम बंगाल के 5 जिलों यथा मालदा, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, मुर्शिदाबाद एवं नदिया को घेंगा रोग से ग्रसित घोषित किया था और उन जिलों मे आयोडिन युक्त नमक लोगों को जबर्दस्ती खिलाया गया, बिना आयोडिन वाले नमक की बिक्री पर पतिबंध लगा दिया गया, जब विरोध मे किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई तो उसके कुछ साल बाद पूरे देश मे ही बिना आयोडिन वाले नमक की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गयी और पूरे देश कि जनता को जबर्दस्ती आयोडिन युक्त नमक खिलाया जाने लगा, और इसको राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया, टीवी मीडिया हर जगह आयोडीन आयोडीन नमक कर दिया गया जो आज तक बदस्तूर जारी है, अब आयोडिन युक्त नमक या आयोडिन कि स्वल्प सिर्फ उसी के लिए जरूरी है जिसे घेंगा रोग हुआ है, और जिसे ये रोग हुआ ही नहीं है वो अगर आयोडिन खाएगा तो उसके शरीर मे उल्टा रोग जन्म ले लेगा और यही हमारे देश मे हो रहा है, आज अधिकतर लोग घेंघा (थायरोइड) की समस्या से ग्रस्त हैं और इस बात पर किसी का भी ध्यान बिलकुल नहीं गया है. आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय भी बना रहता है ।
सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। तो ऐसे में क्या करें, यहाँ फिर वही हमारा आलसी जीवन सामने आ जाता है, अभी कौन सेंधा नमक का पत्थर ले कर आये और उसको कूटे पीसे और उपयोग करे. अगर आप अपने बीवी बच्चो का अपने परिवार का भला चाहते हो तो ये काम आपको ही करना होगा.
3. सफ़ेद आटा अर्थात मैदा
Maide Ke Nuksan
हमारी आंतो का सबसे बड़ा दुश्मन है ये मैदा, आज हर कोई व्यक्ति कब्ज, आंव, बवासीर से परेशान है, आयुर्वेद में कहा गया है के पेट से सभी बीमारियाँ जन्म लेती हैं. तो मैदा पेट का सब से बड़ा दुश्मन है. आज कल बाज़ार में मिलने वाला भोजन 90 % से ऊपर मैदे से बना हुआ रहता है, चाहे आप छोले भठूरे खा रहे हों, चाहे आप पुड़ी सब्जी, चाहे आप किसी कंपनी के बने हुए बिस्कुट, और चाहे आप फ़ास्ट फ़ूड के सैंडविच या बर्गर या ब्रेड खा रहे हों. मेरे भाई मैदे में स्वास्थय के नाम से एक प्रतिशत भी गुण नहीं है. इसलिए इसके अंधाधुन्द प्रयोग से खुद भी बचें और अपने बच्चों को भी बचाएं. ये कब्ज गैस मोटापे से लेकर अल्सर और फिर कैंसर तक का कारण बनता है. और आप आटा भी थोडा मोटा पिसवाएं, और घर में आटा छानने की छन्नी भी थोड़े मोटे छिद्र वाली रखें, ताकि अनाज का फाइबर मिल सके. यहाँ फिर वही आलस आ जाता है के कौन तो चक्की वाले को जा कर कहे, माफ़ कीजियेगा आज कल तो शहरों में और भी बड़ी बीमारी चली है के आटा भी पैक हो कर आता है,
Video Link :- https://youtu.be/0i3S56TFn7A
Channel Link :- https://www.youtube.com/c/crazyindiahealth
No comments:
Post a Comment